• September 20, 2024

जानिए पितृ पक्ष 20 सितंबर 2021 के बारे में पूर्ण जानकारी ÷पंडित उमेश जोशी के संग( हरिद्वार) उत्तराखंड

 जानिए पितृ पक्ष 20 सितंबर 2021 के बारे में पूर्ण जानकारी ÷पंडित उमेश जोशी के संग( हरिद्वार) उत्तराखंड
Sharing Is Caring:

 

पंडित उमेश जोशी( कनखल) हरिद्वार

बन्धुओं आज सोमवार से पितृ पक्ष शुरु हो रहा है ।जो कि २० सितम्बर से ६ अक्टूबर २०२१ तक रहेंगे।पुराणों के अनुसार दिवंगत माता पिता व सभी पितरों की निर्वाण तिथि पर पितृ पूजन करना चाहिए ।पितृ पूजन करने से पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है।कहते हैं जो मनुष्य अपने पितरों का श्रद्धापूर्वक श्राद्ध नहीं करता है,उसके द्वारा की गई पूजा भगवान भी स्वीकार नहीं करते।श्राद्ध करना जरूरी है ।ब्रह्मवैवर्त पुराण और मनुस्मृति में ऐसे लोगों की भर्त्सना की गई है जो इस मृत्यु लोक में आकर अपने पितरों को भूल जाते हैं और सांसारिक मोहमाया में बंधकर रह जाते है ।श्राद्ध करने से श्राद्धकर्ता का कलाण होता है।और हमेशा पितरों की कृपा बनी रहती है ।ध्यान रहे कि ——–
जो कल थे,
वे आज नहीं हैं ।
और जो आज हैं वे कल नहीं रहेंगे ।होने न होने का क्रम इसी तरह चलता रहेगा।हम हैं,हम रहेंगे, यह भ्रम भी सदा पलता रहेगा ।
बन्धुओं पूरे विधी विधान और नियमों से अपने पितरों का श्राद्ध करना चाहिए।कुछ लोगों में भ्रमात्मक प्रचार है कि गया श्राद्ध करने के बाद पितृ पक्ष में श्राद्ध नहीं करना चाहिए ।जबकि ऐसा नहीं है ।गया श्राद्ध तो नित्यश्राद्ध है।इसे हम कई बार कर सकते हैं ।बन्धुओं वर्ष में पितृ पक्ष में श्राद्ध करने का पुण्य काल होता है।श्राद्ध कर्म के लिए इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि श्राद्ध सदैव घर पर ही करें।श्राद्ध करते समय किसी तरह का दिखावा नहीं करना चाहिए।अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार ही श्राद्ध में दान आदि करना चाहिए।घर में निर्मित खाद्य पदार्थ को ही पितरों को अर्पित करें ।
बहुत सारे बन्धूओं में यह धारणा रहती है कि परिवार में जब एक भाई पितृ पूजन कर रहा है तो दूसरे को नहीं करना चाहिए।यह बिल्कुल गलत है ।यदि किसी के एक से अधिक पुत्र हैं और वह अलग अलग रह रहे हैं तो उन्हें पितृ पूजन भी अलग अलग करना चाहिए।या सभी एक ही घर में एकत्र होकर पितृ पूजन कर सकते हैं ।श्राद्ध में क्षौर कर्म करके स्नान करेंऔर श्वेत वस्त्र पहनकर जनेऊ धारण करें।कुशा का आसन,पवित्री,कुशा,जौ,तिल,गाय दूध,शहद,गाय घी,सफेद चन्दन,धूप -दीपक,सफेद फूल,तुलसी,गंगाजल,सफेद कच्चा सूत्र की आवश्यकता श्राद्ध में होती है।रोली मौली की आवश्यकता नहीं होती है ।श्राद्ध में आमान्नी, फल,मिठाई आदि दान करना चाहिए ।पितरों के लिए खीर का भोग मुख्य होता है ।किसी ब्राह्मण को पहले दिन आमंत्रित करना चाहिए ।श्राद्ध कर्म में कुलपुरोहित को प्रथम आमंत्रित करें।और विनय के साथ ब्राह्मण को शूद्ध भोजन,अन्न,फल,वस्त्र और दक्षिणा देनी चाहिए।तत्पश्चात गौ माता,श्वान,काक,चींटीयों के नाम से ग्रास निकालना चाहिए।ध्यान रहे कि तर्पण कांस का पात्र या पीतल के पात्र में ही करना चाहिए ।लोहे के पात्र में नहीं ।शस्त्रों में श्राद्ध करने का अधिकार पुरुष सदस्यों को दिया गया है।किन्तु यदि घर में कोई पुरुष नहीं है तो इस स्थिति में महिलायें भी शुद्ध स्नान करके संकल्प करके श्राद्ध कर सकती है।लेकिन इसके भी कुछ नियम बताए गए हैं ।
पितृ पक्ष में हर रोज भोजन करने से पहले एक ग्रास पितरों के लिए अलग से निकाल देना चाहिए।और गाय या काक को खिला दें।
👉इस वर्ष का पितृ पक्ष की तिथि निम्नवत है——–
👉२० सितम्बर सोमवार को पूर्णीमा का श्राद्ध
👉२१ सितम्बर मंगलवार को प्रतिपदा का श्राद्ध ।
👉२२ सितम्बर बुधवार को द्वितीय श्राद्ध ।
👉२३ सितम्बर गुरु वार को तृतीय श्राद्ध ।
👉२४ सितम्बर शुक्रवार को चतुर्थी का श्राद्ध ।
👉२५ सितम्बर शनिवार को प्रातः १० बजकर ३६ मिनट तक चतुर्थी है उसके बाद पचमी का श्राद्ध ।
👉२६ सितम्बर रविवार को १ बजकर १७ मिनट तक पंचमी का श्राद्ध रहेगा।इस दिन 1:17 बजे तक पंचमी का श्राद्ध करें।
👉२७ सितम्बर सोमवार को षष्ठी श्राद्ध ।
👉२८ सितम्बर मंगलवार को सपत्मी का श्राद्ध ।
👉२९ सितम्बर बुधवार को अष्टमी का श्राद्ध ।
👉३०सितम्बर बृहस्पतिवार को नवमी का श्राद्ध ।
👉१ अक्टूबर शुक्रवार को दशमी श्राद्ध ।
👉२अक्टूबर शनिवार को एकादशी का श्राद्ध ।
👉३अक्टूबर रविवार को द्वादशी श्राद्ध ।
👉४अक्टूबर सोमवार को त्रयोदशी श्राद्ध ।
👉५ अक्टूबर मंगलवार को चतुर्दशी श्राद्ध ।
👉६ अक्टूबर बुधवार को आमावश्य श्राद्ध ।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
👉बन्धुओं कुछ विशेष तिथियाँ होती हैं जिन पर विशेष रूप से तर्पण करना चाहिए ।जैसा कि—
१–पंचमी तिथि–जिनकी मृत्यु अविवाहित स्थिति में हुई हो,उनका श्राद्ध इस तिथि को किया जाना चाहिए ।
2—नवमी तिथि—-सौभाग्यवती यानि पति के रहते ही जिनकी मृत्यु हो गई हो उन स्त्रियों का श्राद्ध नवमी को किया जाता है ।इस तिथि को मातृनवमी भी कहते हैं ।
3—-एकादशी और द्वादशी—-एकादशी में वैष्णव सन्यासी का श्राद्ध करना चाहिए ।
4–चतुर्दशी—– इस तिथि में शस्त्र,आत्म हत्या,विष और दुर्घटना यानि जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो,उनका श्राद्ध करना चाहिए ।
5—-आमावश्य तिथि—–किसी कारण से पितृ पक्ष की अन्य तिथियों पर पितरों का श्राद्ध करने से चूक गए हैं या पितरों की तिथि याद नहीं है तो इस तिथि पर सभी पितरों का श्राद्ध करना चाहिए ।
इस तरह पितृ पक्ष में पितरों का श्रद्धापूर्वक श्राद्ध तर्पण करना चाहिए ।
ॐ नमः पितरो रसाय नमः ।
ॐपितृ देवो भव्।

Sharing Is Caring:

Related post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *