• September 8, 2024

उत्तराखण्ड के तो कण-कण में शिव का वास ÷ स्वामी चिदानन्द सरस्वती

 उत्तराखण्ड के तो कण-कण में शिव का वास ÷ स्वामी चिदानन्द सरस्वती
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कमल अग्रवाल हरिद्वार उत्तराखंड  (24×7)

ऋषिकेश, (16 जुलाई 2023) ÷ श्रावण की शिवरात्रि के अवसर पर परमार्थ निकेतन के सेवकों ने माँ गंगा के पावन तट पर शिवाभिषेक कर धरा को प्रदूषण मुक्त करने का संकल्प किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी ने आॅनलाइन प्लेटर्फाम के माध्यम से जुड़कर सभी को श्रावण शिवरात्रि की शुभकामनायें और आशीर्वाद देते हुये अपने संदेश में कहा कि श्रावण माह भगवान शिव का माह है। वैसे तो हर माह मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है परन्तु श्रावण की शिवरात्रि का महत्व विशेष होता है।

इस दिन शिवभक्त कांवड में गंगाजल लेकर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। अब समय आ गया है कि हम शिवाभिषेक के साथ विश्वाभिषेक करे। अपनी धरा को सिंगल यूज प्लास्टिक फ्री कर स्वच्छ और निर्मल बनाये रखने में योगदान प्रदान करें।

स्वामी जी ने संदेश दिया कि भगवान शिव, आदि योगी है, कल्याणकारी है। भगवान शिव ने जगत के कल्याण के लिये विष को अपने कंठ में धारण कर इस धरा को विषमुक्त किया। वर्तमान समय में हमारे चारों ओर पूरे वातावरण में जो प्लास्टिक है, प्लास्टिक हजारों वर्षों तक वातावरण में बना रहता है जिससे जल, जंगल और जमीन प्रदूषित हो रही है उस विषाक्त प्लास्टिक से धरा को मुक्त करना अत्यंत आवश्यक है।

स्वामी जी ने कहा कि शिवरात्रि महापर्व हमें अपनी अन्तर्चेतना से जुड़ने, सत्य को जनाने, स्व से जुड़़ने तथा शिवत्व को प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। जीवन में आये विषाद्, कड़वाहट और दुख को पी कर आनन्द से परमानन्द की ओर बढ़ने का संदेश देता है। महाशिवरात्रि पूर्ण सत्य और आनन्द की प्राप्ति का महामंत्र है। श्रावण मास में साधक अपने अंतर्मन का नाद सुनने के लिये है वनों में और शिवालयों में जाकर साधना करते थे, कावड़ यात्रा उसी का प्रतीक हैं। आज श्रावण की शिवरात्रि के अवसर पर अपनी अन्तर्चेतना से जुड़ें, अपने स्व से जुडें और शिवत्व से जुड़े।

शिवरात्रि, शिव और शक्ति का प्रतीक है। भगवान शिव संहारक भी है और सजृन कर्ता भी है। शिव करुणा और दयालुता के प्रतीक है और महाशिवरात्रि तो शून्यता से विशालता के दर्शन कराती है इसलिये आज की रात्रि जागरण की रात्रि के साथ हम सभी के जीवन की जागृति की रात हो।

श्रावण माह प्रकृति और पर्यावरण की समृद्धि का प्रतीक है। यह दिव्य माह हमें नैसर्गिक सौन्दर्य के संवर्धन और संतुलित जीवन का संदेश देता है। नैसर्गिक सौंदर्य के संवर्द्धन के लिये हम सभी को शिवाभिषेक के साथ धराभिषेक भी करना होगा।

स्वामी जी ने कहा कि उत्तराखण्ड के तो कण-कण में शिव का वास हंै। शिव, आदि योगी हैं, कल्याणकारी हैं। भगवान शिव ने जगत के कल्याण के लिये विष को अपने कंठ में धारण किया। वर्तमान समय में हमारी धरती प्रदूषित हो रही है, धरती को प्रदूषण मुक्त करने के लिये एकल उपयोग प्लास्टिक का उपयोग बंद करना होगा। साथ ही हमें अपने घर, गांवों और गलियों की स्वच्छता पर ध्यान देना होगा भगवान शिव का दिव्य आशीर्वाद सभी को प्राप्त हो तथा सभी स्वस्थ और प्रसन्न रहें।

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