• October 19, 2024

माननीय राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कैवल्य कुटीर, योग विलेज और वर्ल्ड टॉयलेट कालेज का किया भ्रमण

 माननीय राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कैवल्य कुटीर, योग विलेज और वर्ल्ड टॉयलेट कालेज का किया भ्रमण
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 कमल अग्रवाल (हरिद्वार) उत्तराखंड

*माननीय राज्यपाल उत्तरप्रदेश श्रीमती आनंदी बेन पटेल परमार्थ निकेतन से हुई विदा*

 *परमार्थ निकेतन परिसर में रोपित किया रूद्राक्ष का पौधा*

 माननीय राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कैवल्य कुटीर, योग विलेज और वर्ल्ड टॉयलेट कालेज का किया भ्रमण

*ऋषिकेश, 16 अक्टूबर।* माननीय राज्यपाल उत्तरप्रदेश श्रीमती आनंदी बेन पटेल ने अपनी तीन दिवसीय यात्रा के पश्चात आज परमार्थ निकेतन से विदा ली। परमार्थ परिसर में इस यात्रा की याद में रूद्राक्ष का पौधा रोपित किया तथा पूज्य स्वामी जी ने माननीय राज्यपाल महोदया जी को हिमालय की अनुपम भेंट रूद्राक्ष का पौधा राजभवन लखनऊ में रोपित करने हेतु भेंट किया।
परमार्थ निकेतन में भारत के 15वें अटार्नी जनरल, जानेमाने संवैधानिक विशेषज्ञ, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित श्री के के वेणुगोपाल जी पधारे उन्होंने दिव्य गंगा आरती में सहभाग किया।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के पावन सान्निध्य में श्रीमती आनंदी बेन पटेल जी ने परमार्थ निकेतन वर्ल्ड टॉयलेट कालेज का भ्रमण किया जहां पर सेनिटेशन वर्कर्स को स्वच्छता की ट्रेनिंग दी जा रही हैं। साथ ही परमार्थ निकेतन द्वारा संचालित व्यवसायिक प्रशिक्षण केन्द्र की महिलाओं द्वारा बनाये गये उत्पादों का अवलोकन किया तथा प्रशिक्षण के दौरान महिलाओं द्वारा बनाये गये उत्पादों का किट माननीय राज्यपाल महोदया को भेंट किया।
राज्यपाल उत्तरप्रदेश श्रीमती आनंदी बेन पटेल जी ने कहा कि मैं तीन दिनों से परमार्थ निकेतन में हूँ। मैं यहां पूज्य स्वामी जी के दर्शन करने के लिये आयी थी लेकिन काफी कुछ ले कर जा रही हूँ। ज्यादातर आश्रम श्रद्धा के स्थान होते हैं और पूजा, अर्चना और साधना होती रहती हैं परन्तु यहां परमार्थ निकेतन में समाज, बच्चों, शिक्षा और नदियों को स्वच्छ बनाने के लिये, पर्यावरण को बचाने के लिये अनेक कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं हम सभी को यह परमार्थ निकेतन से देखने की आवश्यकता हैं। मैं आप सभी से इतना ही कहना चाहती हूँ कि जहां-जहां ये कार्यक्रम चलते हैं वहां आप सब जुडें। आप सभी मिलकर पर्यावरण संरक्षण और नदियों को स्वच्छ बनाने में योगदान दीजिये, बच्चों की शिक्षा और स्वच्छता के लिये कार्य करें, 130 करोड़ से ज्यादा की आबादी क्या कुछ नहीं कर सकती, परन्तु इसके लिये ज़ज्बा चाहिये। मैं स्वामी जी को प्रणाम करती हूँ, वंदन करती हूँ -तीन ऐसी योजनायें स्वामी जी ने मुझे बतायी हैं, टॉयलेट के सीवेज से पीने लायक पानी कैसे बनाना हैं तथा उसकी खाद आदि के बारे में यहां से सीख कर मैं जा रही हूँ और मैं राजभवन में इस कार्यक्रम का आरम्भ करूंगी। दूसरा जो पराली हम जलाते हैं, जिससे कितना प्रदूषण होता है, इससे ग्रीन बेड और भवन बनाने का काम पूज्य स्वामी जी ने शुरू करवाया है। ऐसे कई काम इधर से शुरू होते हैं और पूरी दूनिया में जाते हैं। ऐसे पूज्य स्वामी जी को मिलकर बहुत ही खुश हूँ, यहां से काफी कुछ ज्ञान प्राप्त कर के जा रही हूँ।
श्रीमती आनंदी बेन पटेल जी ने कहा कि मैं यहां पवित्र भूमि के दर्शन और साधना करने हेतु इधर आयी थी परन्तु मैंने देखा कि स्वामी जी ने समाज को ध्यान में रखकर कई पुस्तकों का सृजन करवाया और जो विषय लिये गये हैं ये सभी विषय मेरे दिल के करीब हैं और आपके भी दिल के करीब होने चाहिये।
हमारे सामने माँ गंगा का प्रवाह प्रवाहित हो रहा है, हमारी गंगा मैय्या ही हमारी धरोहर है जो हिमालय से बहकर समुद्र तक पहुंचती है और करोड़ो लोगों को जीवन देती हैं ऐसी गंगा मैय्या को शुद्ध और पवित्र रखना हमारा ही कर्तव्य है और ये काम सालों से पूज्य स्वामी जी कर रहे हैं तथा प्रेरणा दे रहे हैं। जो जल हम देख रहे हैं वह केवल पानी नहीं है बल्कि हमारा जीवन है, सोच लीजिये नदियां सूख गयी तो क्या होगा हमारा? इसी वजह से नदियों और माताओं को बचाना हमारा काम हैं।
दूसरा समाज में अन्तिम छोर पर खड़े हमारे गरीब भाई-बहनों तक शिक्षा, स्वास्थ्य की सुविधाओं को पहुंचाना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना यह केवल सरकार का ही काम नहीं है बल्कि इसके लिये पूरे समाज को जुड़ना होगा। इसी कारण सरकार जन हित में अनेक योजनायें बनाती है। ये योजनायें केवल पेपर पर ही न रहें बल्कि प्रत्येक घर और लाभार्थी तक पहुंचे यह काम इन पुस्तकों के माध्यम से हो रहा हैं इसके लिये मैं पूज्य स्वामी जी को धन्यवाद देती हूँ। हमारे समाज के कई ऐसे परिवार हैं जो जंगलों, पहाड़ों और दूर-दराज में रहते हैं, वहां तक योजनायें नहीं पहुंचती हैं इसी वजह से पुस्तकों का सृजन कर एक विन्रम प्रयास परमार्थ निकेतन आश्रम ने किया है।
इसमें कई महत्वपूर्ण विषयों को भी लिया गया हैं। महिलाओं के साथ जो यौन शोषण हो रहा है उसके बारे में जब हम सुनते हैं या पढ़ते हैं तो चिंता होती है कि क्यों ऐसी घटनायें हो रही है। एक ओर हम अपनी बेटियों का पूजन करते हैं और इधर दुःखद घटनायें इस पर हमें चिंतन करना होगा। बेटियों को पढ़ाने के लिये पूरा प्रयास हो रहा है, वे आगे बढ़ें इसके लिये योजनायें बन रही हैं, वे आत्मनिर्भर बने उसके लिये ट्रेनिंग दी जा रही हैं। आज हम यहां गंगा किनारे बैठें है तो हमसब संकल्प करके जाये कि हम अपनी बेटियों को बचायेंगे, उनकी मदद करेंगे, उनके साथ ऐसी घटनायें न हो उसके लिये प्रसास करेंगे, स्वास्थ्य की दृष्टि से जब उनकी माहवारी आती है तब अगर उनका ध्यान नहीं रखा गया तो वे कई गंभीर बीमारियों की शिकार हो सकती है इसके बारे में काफी चर्चायें बुक में की गयी हैं। अब परिवार की जिम्मेदारी है कि हमारी बेटियों को माहवारी के बारे में अवगत करायें और कैसे इस समय में स्वच्छता रखे ये सब बाते खुल कर बताना चाहिये, यह हमारे पर्यावरण के स्वास्थ्य के लिये भी बहुत जरूरी है।
उन्होंने कहा कि बहुत सारे आश्रम योग, ध्यान, प्राणायाम और अपना स्वास्थ्य ठीक रहे उसके बारे में मार्गदर्शन करते हैं देश विदेश से लोग साधना करने हेतु आश्रमों में आते है लेकिन इसके साथ-साथ समाज की समस्याओं को बताना, उनका समाधान करना ताकि समाज स्वस्थ बने और किसी को असुविधा न हो ऐसा वातावरण परमार्थ निकेतन निर्मित करता है। यह बहुत ही प्रसन्नता की बात है।
मैं माँ गंगा को प्रणाम करती हूँ उनसे शक्ति प्राप्त करना चाहती हूँ कि ये सारे कार्य करने हेतु हमें शक्ति प्रदान करें।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि एक शक्ति कैसे पूरे समाज में परिवर्तन ला सकती है इसका उदाहरण है हमारी माननीय राज्यपाल महोदया जी जो राजभवन में रहते हुये भी सबसे जुड़ती हैं और सब को जोड़ती हैं। जिन्दगी वहीं जो दूसरों के काम में आ सके। भारत के पास जब तक भारत को जीने वाली विभूतियां हैं तब तक भारत जिंदा रहेगा, तब तक भारतीय संस्कृति जिन्दा रहेगी।
पूज्य स्वामी जी ने माननीय राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी को 21 नवंबर को उनके 80 वें जन्मदिवस परमार्थ निकेतन में गंगा तट पर मनाने हेतु आमंत्रित किया।
के के वेणुगोपाल जी ने कहा कि मेरे अभी तक के जीवन में कोर्ट और केस के अलावा कुछ नहीं था परन्तु मैंने परमार्थ निकेतन आकर बहुत कुछ देखा और अभिभूत हुआ। पूज्य स्वामी जी के 101 से अधिक देशों में अनुयायी हैं। मैंने यहां आकर जिस आध्यात्मिकता को अनुभव किया है तो मुझे लगता है कि शान्ति, प्रसन्नता और आध्यात्मिकता के लिये प्रत्येक व्यक्ति को यहां पर आना चाहिये।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने सभी को नदियों को बचाने का संकल्प कराते हुये विशिष्ट अतिथियों को रूद्राक्ष का पौधा देकर सभी का अभिनन्दन किया।

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