रामकथा मर्मज्ञ मोरारी बापू के श्रीमुख से हो रही वैश्विक रामकथा मानस सद्भावना
कमल अग्रवाल( हरिद्वार) उत्तराखंड
ऋषिकेश : परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने भक्ति प्रसाद और सेवा के त्रिवेणी संगम सद्भावना वृद्धाश्रम की कल्पना को साकार करने हेतु आयोजित वैश्विक रामकथा में सहभाग किया।
इस अद्भुत यात्रा हेतु रामकथा मर्मज्ञ परम् पूज्य मोरारी बापू जी ने अपने श्रीमुख से रामायण कथा गायी जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। यह रामकथा सद्भावना वृद्धाश्रम के भवन निर्माण हेतु आयोजित की गई है।
इस पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और संयोजक महामंत्री हिन्दू धर्म आचार्य सभ्य मार्गदर्शक एवं संरक्षक स्वामी परमात्मानंद सरस्वती जी और संस्थापक व्यो वर्ल्ड गुजरात के युवा आध्यात्मिक गुरूश्री व्रजराजकुमारजी गोस्वामी जी का पावन सान्निध्य प्राप्त हुआ।
मोरारी बापू जी द्वारा गायी इस वैश्विक रामकथा का उद्देश्य श्रीरामचरितमानस में उत्तरकांड के सद्भाव को सार्थक करते हुए समाज में समरसता और मानवता का संदेश प्रसारित करना है।
इस आयोजन में हज़ारों श्रद्धालुओं ने रामायण कथा के अमृत वचनों का आचमन किया और अमृतकुंड में स्नान कर धर्म और सद्भावना का संदेश प्राप्त किया।
श्रीरामकथा, सद्भावना वृद्धाश्रम के 30 एकड़ में विशाल भवनों के निर्माण हेतु संकल्पित है। यह वृद्धाश्रम न केवल वृद्ध जनों के लिए एक आरामदायक निवास स्थल होगा, बल्कि समाज में समरसता और सेवा की भावना को भी प्रोत्साहित करेगा।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कार्यक्रम में सहभाग कर कहा कि सद्भावना वृद्धाश्रम की स्थापना समाज में सेवा, भक्ति और समर्पण की भावना को बढ़ावा देने का एक उत्कृष्ट प्रयास है। पूज्य मोरारी बापू ने पूरे जीवन भर निराश्रितों, जरूरतमंदों को मुख्य धारा से जोड़ने हेतु श्री रामकथा की महिमा गयी है और यह कथा तो वृद्धजनों को समर्पित है। उन्होंने बताया कि इस आश्रम का उद्देश्य समाज के हर वर्ग को साथ लाना और एकता व करुणा की भावना को मजबूत करना है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने श्रद्धालुओं को पानी का पर्व, पौधा रोपण का पर्व और पर्यावरण संरक्षण का पर्व मनाने का संकल्प कराया। उन्होंने बताया कि पर्यावरण संरक्षण हमारे समाज की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है और हमें इसे संकल्पपूर्वक अपनाना होगा। यही इस श्रीरामकथा यात्रा का मुख्य उद्देश्य है आइये इस आयोजन में बढ़-चढ़ कर भाग लें और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए एकजुट होकर प्रयास करें क्योंकि समाज में सेवा भक्ति और समर्पण की भावना को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं।स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने मोरारी बापू जी को हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।