• September 20, 2024

भारत केवल पर्यटन की नहीं बल्कि तीर्थाटन की भूमि-पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज

 भारत केवल पर्यटन की नहीं बल्कि तीर्थाटन की भूमि-पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज
Sharing Is Caring:

 

अमित गुप्ता (जनपद हरिद्वार)

ऋषिकेश, 27 सितम्बर।* परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने आज विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर कहा कि भारत केवल पर्यटन की नहीं बल्कि तीर्थाटन की भूमि है। हमारा उत्तराखंड तो आध्यात्मिकता और नैसर्गिक सौन्दर्य; स्पिरिचुअल लैण्ड और स्विट्जरलैण्ड का अद्भुत संगम है, इसलिये जब भी उत्तराखंड आयें यहां के प्राकृतिक सौन्दर्य, योग, ध्यान, आध्यात्मिकता के साथ-साथ स्वादिष्ट व्यंजनों का भी आनंद ले।
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि भारत भूमि आनंद के साथ शान्ति प्रदान करने वाली धरती है इसलिये यहां पर्यटन के साथ-साथ तीर्थाटन की भावना से आये। उत्तराखंड में पर्यटन का मुख्य केन्द्र माँ गंगा और हिमालय की वादियां हैं इसलिये यह केवल मनोरंजन का नहीं बल्कि आत्मिक उन्नति का केन्द्र है। यहां का तीर्थाटन आध्यात्मिकता, योग, ध्यान और दिव्यता से युक्त है। यहां पर प्राकृतिक सौन्दर्य; स्वच्छ जल और प्राणवायु ऑक्सीजन का अपार भण्डार है। यहां की नदियां जीवन और जीविका देने वाली हों; जंगल के रूप में धरती के फेफड़े यहां पर मौजूद हैं इसलिये इस दिव्य क्षेत्र में हरित तीर्थाटन और हरित पर्यटन हो। उत्तराखंड में सिंगल यूज प्लास्टिक पूर्ण रूप से बंद हो, पानी पीने के पश्चात बाॅटल्स को सड़कों पर न फेंके, यहां पर पर्यटन के समय जो कचरा हमारे द्वारा उत्पन्न किया जाता है उसका प्रबंधन भी हमारे द्वारा ही ठीक से किया जाये तभी हम इस दिव्य भूमि को प्रदूषण मुक्त रख सकते है।
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि उत्तराखंड को आकर्षक, दिव्य और भव्य पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिये; भव्य पर्यटन और दिव्य तीर्थाटन के रूप में विकसित करने के लिये हम सब का सहयोग जरूरी है। हम सब को मिलकर इसे सुरक्षित पर्यटन एवं तीर्थाटन को बढ़ावा देने के लिये कार्य करना होगा। हमें पर्यटन की दूरगामी नीतियों का अनुसरण करना होगा तथा हमें तीर्थाटन के साथ ही अपने राज्य के पर्यटन का आधारभूत ढांचा तैयार करना होगा। जिसके अतंर्गत आवागमन के संसाधनों की पर्याप्त सुविधायें हों, पर्यटकों के लिये विश्रामस्थल हों; कूड़ेदान की सुविधा हों; हैरिटेज होटल हों और सबसे महत्वपूर्ण यह है कि महिलाओं की सुरक्षा की दृष्टि से हमारा राज्य सुरक्षित हो। साथ ही उत्तराखंड के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिये स्थानीय उत्पादों, जड़ी बूटियों और यहां के भोजन को वैश्विक पहचान देने हेतु हम सभी को मिलकर प्रयास करना होगा। हमारा राज्य कई क्षेत्रों में रोजगार के अवसर सृजित कर सकता है बस जरूरत है बेहतर प्रबंधन की। आईये हम सब मिलकर स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिये स्वयं उनका उपयोग करें और इसके लिये दूसरों को भी प्रेरित किया जाये।
आज विश्व पर्यटन दिवस पर संकल्प लें कि हम सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग नहीं करेंगे। गोवा हो या गंगा तट कहीं भी भारतीय संस्कृति की गरिमा को बनाये रखने हेतु योगदान प्रदान करेंगे।

Sharing Is Caring:

Related post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *