• September 20, 2024

परमार्थ निकेतन, आश्रम द्वारा त्रिवेणी संगम, प्रयागराज में शीघ्र ही होगी दिव्य व भव्य आरती की शुरूआत

 परमार्थ निकेतन, आश्रम द्वारा त्रिवेणी संगम, प्रयागराज में शीघ्र ही होगी दिव्य व भव्य आरती की शुरूआत
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कमल अग्रवाल (हरिद्वार) उत्तराखंड

ऋषिकेश/ अयोध्या ÷ परमार्थ निकेेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और मुख्यसचिव उत्तरप्रदेश श्री दुर्गाशंकर जी की अयोध्या में भेंटवार्ता हुई। इस अवसर पर मÛ मÛ स्वामी प्रखर जी महाराज, स्वामी राघवाचार्य जी महाराज और काशी विश्व परिषद् के पूज्य संतों का सान्निध्य प्राप्त हुआ।

विश्व शान्ति और समाज में शिक्षा व संस्कारों के प्रसार-प्रचार हेतु अयोध्या में चल रहे लक्षचंड़ी महायज्ञ में मुख्यसचिव उत्तरप्रदेश श्री दुर्गाशंकर मिश्रा जी ने सपत्नीक सहभाग कर विश्व शान्ति और उत्तरप्रदेश की समृद्धि हेतु प्रार्थना की।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने माननीय श्री दुर्गाशंकर मिश्रा जी से आगामी कुम्भ मेला, प्रयागराज के विषय में विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ के दौरान त्रिवेणी संगम से भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और संस्कारों की गंगा पूरे विश्व में प्रवाहित हो इस हेतु पूज्य संतों, समाज व सरकार तीनों की त्रिवेणी को मिलकर कार्य करना होगा।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के दिव्य मार्गदर्शन व नेतृत्व में त्रिवेणी संगम, प्रयागराज में परमार्थ निकेतन गंगा आरती की तर्ज पर ही दिव्य व भव्य आरती की शुरूआत की जायेगी। साथ ही सरयू तट, अयोध्या में भी दिव्य आरती की योजना बनायी जा रही हंै।

स्वामी जी ने बताया कि त्रिवेणी संगम’ की इस दिव्य धरती पर सर्वसुविधाओं से युक्त गुरूकुल का निर्माण किया जा रहा हैं तथा आध्यात्मिक नगरी अयोध्या गुरूकुल खोलने की योजना बनायी जा रही है। जहां से पूज्य संतों और ऋषियों के ज्ञान और भारतीय संस्कृति की चिरस्थायी भव्यता को संरक्षित करने के साथ-साथ युवाओं के आध्यात्मिक उत्थान, स्वास्थ्य देखभाल, पारिस्थितिक और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता, शिक्षा, संस्कार आदि अनेक कार्योंे को यहां से संचालित किया जायेगा।

स्वामी जी ने कहा कि प्रयागराज ‘‘संगम’’ प्राचीन काल से ही शिक्षा, संस्कृति, परंपरा और धर्म का एक प्रमुख केंद्र रहा है। पवित्र नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती का दिव्य संगम ‘‘त्रिवेणी’’ पूरी दुनिया को आध्यात्मिक व सांस्कृतिक उपलब्धि हेतु अपनी ओर आकर्षित करता है। प्रयाग में त्रिवेणी संगम के साथ शैक्षिक, साहित्यिक, आध्यात्मिक एवं धार्मिक गंगा भी प्रवाहित होती है। यह भारत की आध्यात्मिक, पौराणिक और सांस्कृतिक नगरी है जिसके कण-कण में पारंपरिक मूल्य समाहित है। ‘तीर्थ राज प्रयाग वास्तव में दृश्यमान तीर्थ राज’ बनने की दिशा में अग्रसर है। उत्तरप्रदेश अब उत्तमप्रदेश बनने की दिशा में द्रुत गति से बढ़ रहा है।

उत्तरप्रदेश के मुख्यसचिव श्री दुर्गाशंकर मिश्रा जी ने कहा कि पूज्य संतों के आशीर्वाद से आगामी महाकुम्भ प्रयागराज से पूरे विश्व को भारतीय संस्कृति व वैश्विक शान्ति का संदेश प्रसारित होगा। मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि परमार्थ निकेतन द्वारा प्रयागराज में गुरूकुल का निर्माण किया जा रहा है। गुरूकुल के माध्यम से शिक्षा व पर्यावरण संरक्षण का संदेश प्रसारित होगा। माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के सक्षम नेतृत्व व मार्गदर्शन में यह प्रदेश अपने पूर्ण वैभव के साथ अबाध गति से प्रगति कर रहा है। 

उत्तरप्रदेश सरकार ने गंगा तट, प्रयागराज में दशाश्वमेध घाट बनाने का जो निर्णय लिया है उसका स्वागत करते हुये स्वामी जी ने श्री दुर्गाशंकर जी को मंगलकामनायें देते हुये कहा कि जब यह घाट बनकर तैयार होगा तो वहा पर भी परमार्थ निकेतन द्वारा गंगा आरती शुरू की जायेगी।

स्वामी जी ने हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा माननीय श्री दुर्गाशंकर जी को भेंट किया।

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