• September 20, 2024

जीवन है अनमोल आत्महत्या नहीं समाधान जीवन को बचाने मे हम हैं आपके  संग-÷डा गीता रानी

 जीवन है अनमोल आत्महत्या नहीं समाधान जीवन को बचाने मे हम हैं आपके  संग-÷डा गीता रानी
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बागपत (उत्तर प्रदेश)

जीवन है अनमोल आत्महत्या नहीं समाधान जीवन को बचाने मे हम हैं आपके  संग-÷डा गीता रानी

प्रत्येक वर्ष 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है ।इसकी शुरुआत इंटरनेशनल एसोसिएशन आफ सुसाइड प्रिवेंशन द्वारा 2003 मे किया गया ।जिसका उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाकर आत्महत्या के मामलों को रोकना है ।जब सहज विचारों के स्थान पर असहज विचार आते हैं ।भावनात्मक दर्द से पीड़ित व्यक्ति के मन में आत्महत्या के विचार आने लगते हैं ।जिससे व्यक्ति की सोच आत्महत्या की ओर अग्रसर होने लगती हैं।कारण है-मनोवैज्ञानिक कारण,सामाजिक दबाव,कार्य स्थल पर दबाव,घरेलू कलह ,परीक्षा सम्बन्धी तनाव,कैरियर सम्बन्धी तनाव आदि हो सकते है ।मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार डा गीता रानी ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान मानसिक स्वास्थ्य सबसे ज़्यादा बाधित हुआ है । सबसे पहले कोशिश करें कि नकारात्मक विचारों से अपने को दूर रखने की कोशिश करें ।आत्महत्या का विचार आने से आप मानसिक रूप से अस्वस्थ या पागलपन की श्रेणी में नहीं आते हैं ।कभी न कभी हम सबके जीवन में ऐसा लगता है कि जीवन बेकार है ,आत्महत्या ही में एक उपाय है।कभी -कभी तो ऐसे ही ख्याल में मन में आ सकते हैं लेकिन यदि यह हर विचार हर समय आपके साथ है आप जिस पर विश्वास करते हैं उससे बात करें ।क्योंकि कोई भी विचार व्यक्ति के मन में मनोविज्ञान के अनुसार 24 घंटे से अधिक आपको परेशान करते हैं ,विचलित करते हैं तो निश्चित रूप से विचारणीय विषय है ।तो वो आपको इस परिस्थिति उबारने के लिए काउंसलर के साथ -साथ आपकी हिम्मत ,साहस इस विषम परिस्थिति से आप को विजय दिलाने आपके साथ हैं।मानसिक अवसाद व्यक्ति को अंदर से इतना कमज़ोर कर देती है कि वह अपने आप को बिलकुल अकेला समझने लगता है,परिवार से बात नहीं करता है ,खानपान में बदलाव आने लगता है ,कहीं जाने में संकोच करता है ,किसी भी काम में ध्यान नहीं लगा पाता है ,नशा वृत्ति बढ़ती है , कुछ असामान्य व्यवहार दिनचर्या में शामिल हो रहा है ,यदि इस तरह का परिवर्तन दिखाई देता है तो इनको छिपाना नहीं चाहिए।किसी ना किसी से बात करनी चाहिए ।यदि कोई आपके आस-पास कोई मेरा जीवन बेकार है,ऐसा जीवन जीकर क्या करना है,मेरी किसी को ज़रूरत नहीं इस तरह से बात करें तो आप अपने दोस्तों,प्रियतमों,परिवार जनों को अकेला न छोड़ें ।उनसे बात करने का प्रयास करें ।वास्तव में मानसिक अवसाद छिपाने का विषय नही है ये शारीरिक बीमारी की भाँति ही है ।मानसिक अवसाद से पीड़ित व्यक्ति अपनी बात गोपनीय रखना चाहता है तो वो विश्वास भी दिलाते हुए पीड़ित की सहायता करने के लिए राष्ट्रीय सेवा योजना उत्तर प्रदेश लखनऊ द्वारा मुस्कुरायेगा इंडिया अभियान चलाया जा रहा है ।

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