क्या कभी बेटियां सुरक्षित रहेंगी यह सवाल है पूरे भारत से -जितेंद्र सनातनी
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
कँहा जाएं कैसे जाएं क्या पहनें क्या खाएं क्या अब भी लड़की होना पाप है,
तुम बता दो या कहदो हम अपना गला घोटकर खुद ही मर मर जाते हैं,,
तुम कसर तो छोड़ नही रहे किसी भी हद तक गिरने में,
अब क्या बेटियां इतनी भी सुरक्षित नही हैं भारत मे,,
ऐसी मानसिकता को कैसे मारा जाए,
क्या अब लाठी डंडों से प्रहार किया जाए,,
क्या अब सड़कों पर उतरा जाए,
अब क्या कोख में ही बेटियां मार दी जाएं,,
क्या शून्य हो रहा है सब कुछ, क्या संविधान की किसी को लाज नही,
दे दो तुम फांसी रेपिस्टों को फिर किसी की औकात नही,,
कब तक दर्द सहोगी यूँ ही चुप रहकर !
काट दो वो हाथ जो उठें तुम्हारे दामन पर,,
बेटियां उठा रहे हैं वहसी अब घरों से,
कानून बनकर अंधा बैठा हाथ पर हाथ रखकर
अब डर को खोफ को निकालो अपने मन से,,
नाक ऊँची तब करना, है भारत की सरकार,
जब बहन बेटी सुरक्षित रहे हर घर हर द्वार,,
कानून बनाओ है सरकार अब यह बहुत जरूरी है,
फांसी दो अब जल्लादों को न इसमें कोई अब देरी हो,,