आयुर्वेद में न केवल उपचार पद्धति बल्कि जीवन जीने का तरीका भी-पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज
कमल अग्रवाल( हरिद्वार )उत्तराखंड
*स्तन कैंसर जागरूकता माह*
*काले के ढ़ाल में स्तन कैंसर जागरूकता शिविर का आयोजन*
*आयुर्वेद में न केवल उपचार पद्धति बल्कि जीवन जीने का तरीका भी-पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज*
*22 अक्टूबर, ऋषिकेश।* स्तन कैंसर जागरूकता माह के अवसर पर स्तन कैंसर के प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए परमार्थ निकतन, ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस की टीम द्वारा काले की ढ़ाल के किशोर-किशोरियों और महिलाओं के साथ जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।
हाल के दशकों में महिलाओं में स्तन कैंसर के मामलों में भारी वृद्धि हुई है, जिसमें सबसे अधिक वृद्धि कम उम्र की महिलाओं में देखने को मिली है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में लगभग 35 प्रतिशत रोगियों में HR+ स्तन कैंसर और ‘एचइआर2-’ बीमारी का निदान किया जाता है जिनकी उम्र 40 वर्ष से भी कम है।
भारत में प्रत्येक 28 भारतीय महिलाओं में से एक (शहरी क्षेत्रों में प्रत्येक 22 महिलाओं में से 1, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक 60 महिलाओं में से 1) में स्तन कैंसर विकसित होने की संभावना है। भारत में महिलाओं में सभी प्रकार के कैंसर में से स्तन कैंसर का प्रतिशत 14 प्रतिशत है।
स्तन कैंसर के प्रारम्भिक लक्षणों में निपल के आसपास लाल या चकत्ते हो सकते है, निपल से तरल पदार्थ का निकलना, स्तन में किसी भी तरह की गांठ या चर्बी का जमा होना, स्तन के आकार में परिवर्तन, स्तन की त्वचा की बनावट में बदलाव, निपल की स्थिति में परिवर्तन आदि लक्षण होने पर तुरंत चिकित्सक की सलाह लेना और जांच करना जरूरी है।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि वर्तमान समय में कैंसर की बीमारी वैश्विक स्तर पर विकराल रूप ले रही है, भारत में कैंसर मौत के प्रमुख कारणों में से एक है। भारत में जितनी तेजी से यह बीमारी फैल रही है वह अत्यंत चिंता का विषय हैं इस बीमारी से बचने का सबसे बेहतर तरीका यह है कि इसके प्रति जागरूकता लाई जाए। कैंसर के संभावित लक्षणों एवं इससे बचाव के प्रति जागरूकता लाने से कैंसर का प्राथमिक स्तर पर ही इलाज संभव हो सकता है।
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि स्वस्थ रहने और स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिये आयुर्वेद में न केवल उपचार होता है बल्कि यह जीवन जीने का तरीका भी सिखाता है, जिससे स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकते है। आयुर्वेदिक जीवन पद्धति के द्वारा रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित की जा सकती है, ताकि सभी प्रकार के रोगों से मुक्त जीवन जिया जा सके।
जीवा की टीम द्वारा ऋषिकेश के समुदायों में जीवन कौशल प्रशिक्षण के साथ समय-समय पर चिकित्सा और जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जाता है।