• October 19, 2024

जी एस टी से पूरा देश परेशान: तरुण गर्ग

 जी एस टी से पूरा देश परेशान: तरुण गर्ग
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कमल अग्रवाल (नई दिल्ली/ उत्तराखंड)

नई दिल्ली। जीएसटी में कई ऐसी खामियां हैं जिसको लेकर देश का व्यवसाय वर्ग एवं आम जनता खासे परेशान हैं। जीएसटी के इन प्रावधानों को खत्म करने के लिए फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष जगदीश प्रसाद मोदी राष्ट्रीय महासचिव राधेश्याम जी एवं प्रदेश सचिव तरुण गर्ग पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन से मिलकर उन्हें एक ज्ञापन दिया तथा इस संबंध में उनसे विस्तृत चर्चा की। प्रदेश सचिव तरुण गर्ग ने बताया कि जीएसटी टैक्स पर टैक्स है । जिस कारण एक तरफ व्यवसाय वर्ग परेशान है वहीं आम उपभोक्ता भी इसका खामियाजा भुगत रहा हैं। यह कितना हास्यास्पद है कि देश की जनता अगर अपना हेल्थ इंश्योरेंस भी करा रही है तो उसको भी 18% जीएसटी देना पड रहा है। देशवासियों के स्वास्थ्य की चिंता करना सरकार का काम है और अगर कोई नागरिक व्यक्तिगत स्तर पर अपने स्वास्थ्य की चिंता करता है तो उससे इसके बदले में टैक्स लिया जा रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है । जब कोई छोटा व्यवसाय किसी बड़े व्यवसाई से कोई माल खरीदता है तो उससे जीएसटी लिया जाता है। इसके उपरांत जब यह छोटा व्यवसाय रिटेल प्राइस पर अपने सामान को बेचता है तो फिर इससे टैक्स लिया जा रहा है। इस तरह से एक ही उत्पाद पर कई बार टैक्स देना पड़ रहा हैं और इसका सीधा असर उपभोक्ता पर पड़ रहा है । इसमें सबसे आश्चर्यजनक पहलू यह है कि अगर कोई व्यक्ति कोई उत्पाद किसी कंपनी से खरीदा है और उसे जीएसटी के साथ उसकी कीमत चुका देता है इसके बाद अगर संबंधित कंपनी जीएसटी की चोरी करती है तो इसके लिए वह उपभोक्ता दोषी माना जाता है जिसने वह उत्पाद खरीदी थी। अब यह कितना हास्यास्पद विषय है । अगर कोई कंपनी किसी दूसरे कंपनी से 100 करोड़ का माल खरीदता है तो उसे 118 करोड़ों रुपए अदा करने होते हैं अगर बेचने वाली कंपनी 18 करोड़ के टैक्स की चोरी कर ले तो इसके लिए खरीदने वाला व्यक्ति जिम्मेवार होगा । यह बात कहीं से न्याय संगत नहीं है । गलती किसी की और सजा किसी को । श्री गर्ग ने कहा जीएसटी से प्राप्त आय केंद्र सरकार राज्य सरकारों को नहीं दे रही है और उन्हें यह कहा जा रहा है कि आप रिजर्व बैंक से उधार ले ले। यह विषय समझ से परे है कि आखिर इस तरह की अनियमितता या इस तरह के नियम किस कारण से बनाए गए हैं जिसका कोई औचित्य नहीं है जिससे इसे देश के व्यवसाई और आम जनता दोनों परेशान हैं ।

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