श्री जुगत निवास आश्रम में श्री श्री 1008 साध्वी मां पूनम जी महाराज पधारी
ठाकुर मनोज कुमार /कमल अग्रवाल
हरिद्वार : श्रवण नाथ नगर स्थित श्री जुगत निवास आश्रम में श्री श्री बाबा नीम करोली जी महाराज एवं उनके परम शिष्य परम पूज्य श्री श्री सेवानंद जी महाराज की परम शिष्य लोकमाता श्री श्री 1008 साध्वी मां पूनम जी महाराज पधारी आश्रम के परमाध्यक्ष श्री महंत महामंडलेश्वर 1008 श्री गंगा दास जी महाराज ने माता जी का सम्पूर्ण मनोवृति के साथ सत्कार किया डिवाइन बलीस इंटरनेशनल की संस्थापक लोकमाता पूनम गुरुजी ने कहा परम पूज्य महामंडलेश्वर 1008 श्री श्री गंगा दास जी महाराज तथा साध्वी सुशीला उदासीन जी महाराज जैसे पावन तपस्वी त्याग मूर्ति संतो का पावन सानिध्य तन एवं मन को पावन कर देता है मन में ज्ञान एवम पावनता की गंगा बहने लगती है श्री जुगत निवास आश्रम आगुंतकों एवं भक्तों पर अपने स्नेह एवं प्यार की वर्षा करता है
इस आश्रम में त्याग तपस्या और समर्पण के साथ-साथ ज्ञान का भी वैभव दिखायी देता है भारतीय सभ्यता सनातन एवं संस्कृति की झलक इस आश्रम में यहां के सेवा भाव में कूट-कूट कर भरी हुई है उन्होंने कहा हम अमेरिका से यहां हरिद्वार आये किसी से महामंडलेश्वर श्री गंगा दास महाराज के बारे में जानकारी प्राप्त हुई तो उनके दर्शन की अभिलाषा जागी जब हम अचानक उनके आश्रम में पहुंचे तो मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मैं वर्षों बाद अपने घर आ गई हूं ऐसा लगा जैसे हमारा सदियों पुराना कोई नाता हो इतनी सेवा इतना आदर इतना समर्पण भाव इतना सम्मान केवल भारतीय संस्कृति में ही किसी अनजान को प्राप्त हो सकता है धन्य है
श्री श्री महामंडलेश्वर गंगादास जी महाराज जो आज भी भारतीय सभ्यता संस्कृति अचार विचार और नर सेवा ही नारायण सेवा के भाव से चल रहे हैं ऐसी ही उदारवादी परम वंदनीय संत है साध्वी शक्ति परिषद की पदाधिकारी साध्वी माता सुशीला उदासीन जी जिन्होंने इतना सुंदर सेवा भाव का कृत संकल्प लिया हुआ ममतामरी मां जगत जननी का स्वरूप और झलक माता सुशीला देवी उदासीन में तथा उनके स्वभाव में उनके संस्कारों में उनके सेवा भाव में साफ-साफ दिखाई देती है
इस अवसर पर बोलते हुए महामंडलेश्वर श्री 1008 गंगादास उदासीन जी महाराज ने कहा श्री लोक माता पूनम मां विदेश में भी भारतीय सभ्यता और संस्कृति का प्रचार प्रसार कर सनातन और भारतीय संस्कृति को मजबूत कर रही है विदेश में भी उनके ज्ञान का लाभ प्राप्त कर विदेशी भारतीय संस्कृति को अपना रहे हैं
इस अवसर पर बोलते हुए साध्वी माता सुशीला उदासीन महाराज ने कहा मनुष्य ताउम्र तेरा मेरा इसका इसका करता रहता है यह सब व्यर्थ है मनुष्य खाली हाथ आया था और एक दिन खाली हाथ चले जाना अगर जायेगा कुछ साथ तो वह आपकी अच्छाई और बुराई इसलिए अच्छे कार्य करो सुबह-शाम हरि का सिमरन करो आपका लोक और परलोक दोनों सुधर जायेंगे इस लोक में आप अच्छा बुरा जो भी कर रहे हैं उसी के प्रतिफल आपको अगला जन्म प्राप्त होगा अगर लाख 84 के फेरे में नहीं फंसना चाहते हो तो द्वार पर आने जाने वाले की निस्वार्थ भाव से सेव करो और हरि का सिमरन करो इसी का प्रतिफल आपको परलोक में प्राप्त होगा