• September 8, 2024

राष्ट्र की एकता अखण्डता बनाए रखने में संत महपुरूषों की निर्णायक भूमिका ÷ स्वामी प्रबोधानंद गिरी

 राष्ट्र की एकता अखण्डता बनाए रखने में संत महपुरूषों की निर्णायक भूमिका ÷ स्वामी प्रबोधानंद गिरी
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कमल अग्रवाल( हरिद्वार) उत्तराखंड

हरिद्वार ÷ श्यामपुर कांगड़ी स्थित श्री गंगा आरती धाम में सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों के सानिध्य में आयोजित गुरू दीक्षा संस्कार समारोह में हिंदू रक्षा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरी महाराज ने स्वामी वीरेंद्र स्वरूप एवं स्वामी प्रज्ञानंद गिरी को दीक्षा प्रदान की।

इस दौरान सभी तेरह अखाड़ों के संतों ने स्वामी वीरेंद्र स्वरूप एवं स्वामी प्रज्ञानंद गिरी को तिलक चादर प्रदान कर शुभकामनाएं दी। स्वामी वीरेंद्र स्वरूप एवं स्वामी प्रज्ञानंद गिरी को आशीर्वाद प्रदान करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरी महाराज ने कहा कि राष्ट्र की एकता अखण्डता बनाए रखने में संत महपुरूषों की निर्णायक भूमिका है।

सनातन धर्म संस्कृति और दशनाम सन्यास परंपरा में गुरू शिष्य परंपरा का विशेष महत्व है। गुरू के सानिध्य में प्राप्त ज्ञान से ही शिष्य की उन्नति और कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। उन्होंने कहा कि सन्यासी का जीवन समाज को समर्पित होता है। उन्हें पूण विश्वास है कि स्वामी वीरेंद्र स्वरूप एवं स्वामी प्रज्ञानंद गिरी सन्यास परंपरा का पालन करते हुए मानव कल्याण में योगदान करेंगे।

बाबा हठयोगी एवं महंत दुर्गादास महाराज ने कहा कि सनातन धर्म में गुरू को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। गुरू ही शिष्य के जीवन में ज्ञान का प्रकाश कर उसे अज्ञान रूपी अंधकार से बाहर निकालता है। गुरू के दिखाए मार्ग पर चलते हुए गुरू का सम्मान व सेवा करने वाले शिष्य पर ईश्वरीय कृपा सदैव बनी रहती है।

महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरी महाराज के शिष्य स्वामी वीरेंद्र स्वरूप एवं स्वामी प्रज्ञानानंद गिरी सनातन धर्म संस्कृति के उत्थान में अपना योगदान देंगे। स्वामी वीरेंद्र स्वरूप एवं स्वामी प्रज्ञानंद गिरी ने सभी संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वे सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें गुरू के रूप में महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरी महाराज का सानिध्य प्राप्त हुआ है। गुरू से प्राप्त ज्ञान और उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए सनातन धर्म के संरक्षण संवर्द्धन में योगदान करेंगे।

इस अवसर पर महंत श्यामप्रकाश, महंत जमनादास, महंत सूरजदास, महंत नारायण दास पटवारी, महंत विनोद महाराज, साध्वी श्रद्धानाथ, महंत प्रह्लाद दास, स्वामी प्रज्ञानंद, स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि, महंत गंगादास, महंत दिनेश दास महंत गुरनाम सिंह, पूर्व राज्यमंत्री सुरेंद्र मोघा सहित बड़ी संख्या में संत व श्रद्धालु मौजूद रहे।

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