• September 19, 2024

स्वामी श्री गोविन्ददेव गिरि जी के 75 वें जन्मोत्सव के अवसर पर आलंदी में आनंदोत्सव का आयोजन

 स्वामी श्री गोविन्ददेव गिरि जी के 75 वें जन्मोत्सव के अवसर पर आलंदी में आनंदोत्सव का आयोजन
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कमल अग्रवाल (हरिद्वार) उत्तराखंड

ऋषिकेश ÷ आलंदी पुणे में 4 फरवरी से 11 फरवरी गीताभक्ति अमृत महोत्सव स्वामी श्री गोविन्ददेव गिरिजी के 75 वें जन्मोत्सव के अवसर पर आनंदोत्सव कार्यक्रम में अनेक पूज्य संतों का पावन सान्निध्य प्राप्त हुआ। इस दिव्य अवसर पर पूज्य संतों का उद्बोधन, आशीर्वाचन व आशीर्वाद सभी को प्राप्त हुआ।

इस अवसर पर जगद्गुरू शंकराचार्य आचार्य श्री विजेन्द्र सरस्वती जी महाराज ने कहा कि 12 वर्ष में एक बार कुम्भ मेले का आयोजन, हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन व नासिक में होता तब कल्पवास में ऐसे दिव्य दृश्य देखने को मिलते हैं। कुम्भ में संत समागम होता है। महाराष्ट्र संतों की भूमि है। बारह ज्योतिर्लिंग में सबसे अधिक ज्योतिर्लिंग व अष्टविनायक भी यहां पर है, यह भूमि गणाध्यक्ष व गणापति की भूमि है। सेना व सेवा की धरती है महाराष्ट्र है। आधुनिक व आध्यात्मिक विद्या व शिक्षा की भूमि है। धार्मिक वर्चस्व की भूमि महाराष्ट्र है। आदि गुरू शंकराचार्य जी ने जो एकता का संदेश दिया वह महाराष्ट्र की भूमि में आज भी दिखायी देता है। भारतीय संस्कृति गाय, तीर्थ क्षेत्र, प्रकृति, विग्रह व मूर्ति चेतना में विश्वास करती है। 22 जनवरी प्राणप्रतिष्ठा से देश का गौरव बढ़ा है। 

उन्होंने कहा कि स्वामी गोविन्ददेव गिरि जी गीता, का प्रचार विश्व स्तर पर कर रहे हैं। हमें स्वदेशी भाषाओं का संरक्षण करना चाहिये क्योंकि यह अत्यंत आवश्यक है। इस समय भारत में पुनर्निर्माण का कार्य हो रहा है। हमारे गांवों-गांवों में समायोजक होना आवश्यक है। मन्दिरों में समाज का निर्माण होता है साथ ही दायित्वों का निर्माण करने वाला भी होना चाहिये। 

मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश श्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि वैदिक सनातन धर्म के लिये अपने पुरूषार्थ, साधना व परिश्रम से स्वामी श्री गोविन्द देव जी ने जो कार्य किये वह अद्भुत है। यह उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का अवसर है। संत ज्ञानेश्वर जी ने 15 वर्ष की उम्र में ज्ञानेश्वरी का उपदेश दे कर भक्तों को एक नई राह दिखायी। 21 वर्ष की उम्र में समाधि ले कर भारत के अध्यात्म को पूरे भूमंडल पर लहराने का कार्य किया है।

महाराष्ट्र की धरती भक्ति की शक्ति की धरती है। स्वामी जी ने सनातन वैदिक धर्म के लिये अपना सब कुछ समर्पित कर दिया। भारत वेदों का मार्गदर्शन प्राप्त करेगा। सनातन धर्म की धर्म पताका सदैव लहराती रहे। उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज का गुणाणुवाद किया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि ये आलंदी का महाकुम्भ है। आज हम एक ऐसे महापुरूष स्वामी श्री गोविन्ददेव गिरि जी का जन्मदिवस मना रहे हैं जो दिव्यता, शुचिता व शुद्धता के प्रतीक हैं। महाराष्ट्र की धरती ने; मराठों ने; शिवाजी ने सनातन को जीवंत व जागृत रखा। महाराष्ट्र नहीं होता तो राष्ट्र भी नहीं होता। स्वामी जी ने कहा कि कांची पीठ विवाद की नहीं संवाद की पीठ रही है। पूज्य शंकराचार्य जी चलते थे तो लगता वेद गान हो रहा है।

स्वामी जी ने कहा कि भारत के यशस्वी, तपस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 11 दिन का उपवास नारियल का पानी पी कर किया इसके माध्यम से उन्होंने उत्तर और दक्षिण के मिलन व एकता का संदेश दिया।

योगगुरू स्वामी रामदेव जी ने कहा कि गोविन्द देव जी भारत का सांस्कृतिक नेतृत्व कर रहे हैं। महाराष्ट्र की भूमि ने अपने उद्भव से लेकर अबतक अनन्त ज्ञान, भक्ति, शक्ति, शौर्य और पराक्रम सब कुछ दिया है परन्तु इस कलिकाल में स्वामी गोविन्द देव गिरि जी महाराज ने सब कुछ प्रदान कर दिया है। वे धर्म व वेद के विग्रहवान स्वरूप है। वे छत्रपति शिवाजी महाराज की गौरव गाथा सुनकार इस देश के पराक्रम बढ़ा रहे हैं।

मÛ मÛ स्वामी अवधेशानन्द गिरि जी ने कहा कि स्वामी गोविन्ददेव गिरि जी के पास चितंन की पवित्रता, आचरण की शुचिता है। हम भाग्यशाली है कि वे हमारे बीच हंै। संस्कृत के बिना संस्कृति की रक्षा नहीं की जा सकती है और आप संस्कृत को अपने वेद विद्यालयों के माध्यम से जीवंत व जागृत बना रहे हैं।

संत श्री रमेश भाई ओझा जी ने कहा कि भारत का भी अमृत महोत्सव और स्वामी गोविन्ददेव गिरि जी महाराज का भी अमृत महोत्सव मना रहे हैं, लगता है भारत और स्वामी जी में एकरूपता है। भक्ति व शक्ति हमारे यहां साथ-साथ चलती है। हम साध्य व साधन दोनों का पूजन करते हैं। यह महोत्सव शक्ति व भक्ति का समन्वय है। उन्होंने कहा कि गीता वैश्विक ग्रंथ है। गीता वैश्विक सांस्कृतिक संविधान है। गीता विश्व के कोने-कोने में पहुंच रही है। स्वामी जी का जीवन ही अमृतमयी है, अमृत कभी मरता नहीं है। 

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि हम स्वामी गोविन्ददेव गिरि जी महाराज का जन्म महोत्सव नहीं बल्कि जीवन दर्शन महोत्सव मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति मेरे खून में नहीं है परन्तु मेरे आत्मा में है। इस अवसर पर उन्होंने वैश्विक धर्म यात्रा की स्मृतियों को याद किया। उन्होंने कहा कि स्वामी जी का जीवन ज्ञान, भक्ति व कर्म की अद्भुत त्रिवेणी है। श्री राममन्दिर निर्माण में गोविन्द देव गिरि जी का अद्भुत योगदान है। भारतीय संस्कृति की शक्ति, भारत की शक्ति अद्भुत है। मैं 27 वर्षो से भारत में रह रही हूँ भारतीय संस्कृति मेरे खून में नहीं बल्कि मेरी आत्मा में है। अब तो ऐसे लगता है मैं भारत में नहीं बल्कि भारत मुझ में रहता है। भगवत गीता में वर्तमान की सभी समस्याओं का समाधान समाहित है।

आचार्य बालकृष्ण जी ने कहा कि यह समय सनातन का यौवन काल है, चारों ओर सनातन की जयजय कार है उसके पीछे स्वामी श्री गोविन्ददेव गिरि जी महाराज का अभूतपूर्व योगदान है। 

स्वामी श्री काड़सिद्धेश्वर जी महाराज जी ने कहा कि स्वामी श्री गोविन्ददेव गिरि जी महाराज ने बिखरे हुये सभी लोगों को संगठित कर गीता का अमृतपान कराया। 

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, पूज्य शंकराचार्य जी और सभी पूज्य संतों ने स्वामी गोविन्ददेव गिरि जी महाराज को रूद्राक्ष का पौधा और सौम्यता का प्रतीक गजराज की मूर्ति प्रदान की।

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