• September 19, 2024

लोकतंत्र की जननी भारत के 75 वें गणतंत्र दिवस पर परमार्थ निकेतन में हुये रंगारंग कार्यक्रम

 लोकतंत्र की जननी भारत के 75 वें गणतंत्र दिवस पर परमार्थ निकेतन में हुये रंगारंग कार्यक्रम
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कमल अग्रवाल (हरिद्वार )उत्तराखंड

ऋषिकेश ÷ भारत के 75 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि यह दिन भारत के गणतंत्र के गौरव का दिन है; भारत के वैभव का दिन है जो भारत की भव्यता का आगाज कर रहा है जिसके मूल में है भारत का संविधान और संविधान में ही वर्तमान की सभी समस्याओं का समाधान निहित है।

मÛमÛ स्वामी असंगानन्द सरस्वती जी और परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने दैवी सम्पद मंडल संस्कृत आध्यात्मिक महाविद्यालय, परमार्थ निकेतन में तिरंगा झंडा फहराया और परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों और परमार्थ विद्या मन्दिर के विद्यार्थियों ने रंगारंग प्रस्तुतियों से पूरे वातावरण को देशभक्ति के रंग में रंग दिया।

भारत की गौरवमयी परम्परा का पर्व गणतंत्र दिवस के अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि 75 वां गणतंत्र दिवस अविस्मरणीय है, इसे युगों युगों तक याद किया जायेगा क्योंकि श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात भारत ने अपना 75 वां गौरवमयी गणतंत्र दिवस मनाया। 

मÛमÛ स्वामी असंगानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत की संस्कृति राष्ट्र प्रथम का संदेश देती है। यजुर्वेद की सूक्ति ‘वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः’ अर्थात हम सभी मिलकर राष्ट्र को जीवंत और जाग्रत बनाए रखेंगे और यह संदेेश भारत के प्रत्येक नागरिक के लिये है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि हमारे राष्ट्र ने एक शानदार सफर तय किया है और हम सभी भारतीयों को इस पर गर्व है। भारत की यह अद्भुत यात्रा उपलब्धियों और सफलताओं से युक्त है। समावेशी भावना के साथ भारत विकास की ओर निरंतर अग्रसर है। ‘भारतीय मॉडल’ विविधता, लोकतंत्र और विकास रूपी स्तंभों पर खड़ा है।

स्वामी जी ने कहा 75 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर हम सभी ने नारी शक्ति के उभरते हुये परचम और अद्म्य साहस के दर्शन किये। पूरे विश्व ने श्री राम मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा के दौरान और गणतंत्र दिवस परेड में राष्ट्र के सभी वर्गों और सभी समुदायों के सहभाग के दर्शन किये।

वास्तव में वर्तमान समय में भारत में एक ऐसे परिवारिक वातावरण के दर्शन हो रहे हैं जहां पर प्रत्येक व्यक्ति की विशिष्टता और क्षमताओं को स्वीकारा जा रहा है, यह नये भारत का शंखनाद है।

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