22 जनवरी का इतिहास ‘‘सनातन का इतिहास’’ ÷ स्वामी चिदानन्द सरस्वती
कमल अग्रवाल (हरिद्वार )उत्तराखंड
ऋषिकेश, 23 जनवरी। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अयोध्या धाम से विदा लेते हुये कहा कि अयोध्या धाम में व्यतीत किये पल सनातन, शाश्वत और शान्तिदायक थे। अयोध्या में श्री रामभक्तों का महाकुम्भ लगा हुआ था। पूरा राष्ट्र श्री राम की लहर के साथ प्रवाहमान हो रहा है। 1947 में भारत की आज़ादी के उत्सव के बाद 22 जनवरी प्राण-प्रतिष्ठा का यह उत्सव ऐतिहासिक, स्वर्णिम, यादगार और अलौकिक था जिसे युगों-युगों तक याद किया जायेगा।
अयोध्या धाम में लगे श्री रामभक्तों के महाकुम्भ में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से पूज्य संतों, महंतों और विशिष्ट विभूतियों ने भेंट की।
स्वामी जी ने कहा कि 22 जनवरी का यह ऐतिहासिक दिन नये युग की शुरूआत की सुदृढ़ आधारशिला है। 15 अगस्त, स्वतंत्रता दिवस, 26 जनवरी गणतंत्र दिवस तो हम सब मनाते हैं, इन विशिष्ट दिनों की छाप हमारे दिल में हैं, साथ ही 22 जनवरी का दिन सनातन को गौरवान्वित करने का दिन है, जिसने हर सनातनी के दिल में एक अमिट छाप छोड़ी है। ऐसा लगता है मानों प्रभु श्री राम ने स्वयं सनातनियों के दिलों पर अपने स्वर्णिम हस्ताक्षर किये हो। आने वाली पीढ़ियों को यह दिन मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम का इतिहास सुनायेगा, सनातन संस्कृति के इतिहास से अवगत करायेगा।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भगवान श्री राम, भारत की आत्मा है, भारत की चेतना है, भारत के प्राण है। भगवान श्री राम एक क्रान्ति भी है और जीवन की शान्ति भी है। प्रभु श्री राम हमारी प्राण शक्ति भी है और जीवन को शक्ति प्रदान करने वाली भक्ति भी है। प्रभु श्री राम धर्म है और धर्म ही श्री राम है। भगवान श्री राम स्वयं ही धर्म का साक्षात प्रमाण है और वे ही परिणाम है।
स्वामी जी ने कहा कि इस दिव्य आयोजन में आये महानुभावों से बात हुई सभी का एक ही अनुभव था, यह अद्भुत, अतुल्य, अनुपम, अलौकिक, अवर्णनीय पल थे जिसका श्रेय भारत के ऊर्जावान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को जाता है, उनके कारण ही यह सम्भव हो सका और हमें सदियों की प्रतीक्षा का सुखद परिणाम प्राप्त हुआ। मोदी जी न होते तो न जाने और कितने दशक इस सुखद पल को देखने हेतु प्रतीक्षा करनी पड़ती। मोदी जी की लगन, त्याग, समर्पण और प्रभु श्री राम के प्रति उनकी आस्था अद्भुत है। सच तो यह है कि जहां आस्था है वहां रास्ता है। मोदी जी है तो सब मुमकिन है। अब समय आ गया है कि अपने-अपने घरों में, अपने जीवन में और अपनी चेतना में प्रभु श्री राम को धारण करें। प्रभु श्री राम के चरण, उनकी शरण और उनके आचरण हम सभी के जीवन का आधार बनंे।
अयोध्या धाम से चलते-चलते स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से फिल्म निदेशक सुभाष घई ने भेंट कर परमार्थ निकेतन आश्रम व गंगा जी के तट की स्मृतियों को याद करते हुये कहा कि परदेश फिल्म की शूटिंग के दौरान गंगा जी की आरती के दृश्यों को शूट किया था जो वास्तव में अद्भुत, अलौकिक, अवर्णनीय और अपार शान्ति देने वाले पल थे। हमारी परदेश फिल्म की पूरी टीम गंगा जी की आरती में सहभाग करना चाहती है ताकि उन सुहाने व स्वर्णिम पलों का आनन्द ले सके। उन्होंने कहा कि परमार्थ निकेतन मेरे अपने प्रांगण जैसा मेरे अपने परिवार जैसा है उन दिव्य स्मृतियों को ताजा करने के लिये जरूर परमार्थ निकेेतन आयेंगे।
इस अवसर पर विख्यात अभिनेता श्री अनुपम खेर ने भी स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट की। उन्होंने कहा कि मैं शीघ्र ही माँ गंगा और हनुमान जी के दर्शन करने के लिये परमार्थ निकेतन आऊँगा। परमार्थ निकेतन की स्मृतियाँ मेरे जीवन की स्वर्णिम स्मृतियों के सुनहरे पलों में से एक है।
इस अवसर पर संस्कृति व संस्कारों के लिये अद्भुत कार्य करने वाले श्री राधेश्याम गोयनका जी भी उपस्थित थे। उन्होंने आचार्य श्री धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी और स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी को आमंत्रित किया। अद्भुत स्मृतियों के साथ सभी अयोध्या धाम से विदा ले रहे हैं।