एम्स ऋषिकेश में संस्थान की कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह की देखरेख में यूरोलॉजी और नेफ्रोलॉजी विभाग की ओर से रंगोली कलाकृतियों के माध्यम से अंगदान व गुर्दा प्रत्यारोपण जनजागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया
कमल अग्रवाल (हरिद्वार) उत्तराखंड
एम्स ऋषिकेश ÷ एम्स ऋषिकेश में यूरोलॉजी और नेफ्रोलॉजी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में गुर्दा प्रत्यारोपण, अंगदान को बढ़ावा देने के लिए रंगोली प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। जिसके माध्यम से प्रतिभागियों ने अंग दान और गुर्दा प्रत्यारोपण से जरुरतमंद को जीवनदान देने का संदेश दिया। उक्त कार्यक्रम पूरे देश में गुर्दा एवं अंगदान प्रत्यारोपण विषय पर रंगोली माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर जनजागरुकता के तहत आयोजित किया गया।
एम्स ऋषिकेश में संस्थान की कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह की देखरेख में यूरोलॉजी और नेफ्रोलॉजी विभाग की ओर से रंगोली कलाकृतियों के माध्यम से अंगदान व गुर्दा प्रत्यारोपण जनजागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया, कार्यक्रम के आयोजन में कॉलेज ऑफ नर्सिंग, एम्स ऋषिकेश और मोहन फाउंडेशन ने सहयोग प्रदान किया।
बताया गया कि कार्यक्रम का उद्देश्य रंगोली कला प्रदर्शनी के माध्यम से अंगदान व गुर्दा प्रत्यारोपण के प्रति जनसामान्य को जागरूक करना है। कार्यक्रम में कॉलेज ऑफ नर्सिंग के विद्यार्थियों ने विविध रंगों व कलाकृतियों के जरिए अंगदान, महादान व जीवनदान का जीवंत संदेश दिया। साथ ही उन्होंने इंद्र धनुषी रंगों के जरिए मनमोहक रंगोली डिजाइनों के माध्यम से अंग दान और गुर्दे के प्रत्यारोपण विषय की व्याख्या करने के साथ ही अपनी रचनात्मकता का भी शानदान प्रदर्शन किया।
इस अवसर पर संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने बताया कि एम्स, ऋषिकेश में गुर्दा प्रत्यारोपण शुरू हो चुका है, जिसके तहत अब तक संस्थान के यूरोलॉजी व नेफ्रोलॉजी विभाग के समन्वय में दो मरीजों को सफलतापूर्वक गुर्दा प्रत्यारोपित किया जा चुका है। उन्होंने गुर्दा प्रत्यारोपण व अंगदान को बढ़ावा देने के लिए आयोजित इस पहल की सराहना भी की, साथ ही उम्मीद जताई कि यह कार्यक्रम जनसामान्य को अंगदान प्रत्यारोपण के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
कार्यक्रम प्रमुख एवं यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अंकुर मित्तल ने बताया कि इस आयोजन का एक अभिन्न हिस्सा सूचनात्मक सत्र रहा, जिसका उद्देश्य अंग दान से जुड़े मिथकों और गलत धारणाओं को दूर करना था। यूरोलॉजी और नेफ्रोलॉजी विभाग के चिकित्सा विशेषज्ञों ने अमूल्य जीवन के संरक्षण पर जोर दिया और इसके लिए अंग दान प्रक्रिया में बहुमूल्य व निहायत जरुरी बताया।
विभागाध्यक्ष नेफ्रोलॉजी डॉक्टर शैरोन कंडारी ने बताया कि अंगदान के संकल्प से ही हम जरुरतमंद व्यक्ति को नवजीवन दे सकते हैं। लिहाजा इसे मुहिम का हिस्सा बनाने के लिए पैन इंडिया मोहन फाउंडेशन की ओर से अखिल भारतीय स्तर पर पहल की गई है, जिससे इन संस्थाओं के रचनात्मक प्रयासों व सहयोग से पूरे देश में आमजन के बीच अंग दान जागरुकता को लेकर महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।
यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अंकुर मित्तल ने एम्स ऋषिकेश की अंग दान व गुर्दा प्रत्यारोपण को लेकर संस्थागत स्तर पर की गई इस अनूठी रचनात्मक पहल को सफल बनाने में अपेक्षित सहयोग के लिए नर्सिंग कॉलेज एवं मोहन फाउंडेशन का आभार व्यक्त किया है।
इस अवसर पर कार्यक्रम में एम्स अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आरबी कालिया, यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर एके मंडल, डॉ. रोहित गुप्ता, डॉ. निर्झर राज, डॉ. वंदना धींगरा, नर्सिंग कॉलेज फैकल्टी जेवियर वैल्सीयाल, मोहन फाउंडेशन के काउंसलर संचित अरोड़ा आदि मौजूद थे।
हरेक रंगोली ने दिया भिन्न भिन्न प्रेरक संदेश ÷ कार्यक्रम में अलग अलग कलाकतियों के रूप में भिन्न भिन्न संदेश दिया गया। एक रंगोली के माध्यम से संदेश दिया गया कि एक व्यक्ति के अंगदान से आठ जिंदगियों को बचाया जा सकता है। दूसरी रंगोली के जरिए हमें जीवित अवस्था में ही अपने ऑर्गेन डोनेट करने को प्रेरित किया गया, जिससे हम इस महादान का हिस्सा बन सकें। एक अन्य रंगोली के माध्यम से मैसेज दिया गया कि यदि किसी मनुष्य को किडनी की बीमारी है तो पारिवारिक सदस्य को अपनी एक किडनी दान की जा सकती है, इससे दान देने वाले की लाइफ अथवा स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता साथ ही परिजन के जीवन की रक्षा भी हो जाती है।