बैलगाड़ी, साइकिल से चाँद व सूर्य तक की विलक्षण विकास यात्रा=स्वामी चिदानन्द सरस्वती
कमल अग्रवाल (हरिद्वार) उत्तराखंड
ऋषिकेश= परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज भारत के प्रथम अंतरिक्ष यात्री श्री राकेश शर्मा जी के जन्मदिवस के अवसर पर भारत की अद्भुत अंतरिक्ष उपलब्धियों व शानदार सफर को याद करते हुये कहा कि बैलगाड़ी व साइकिल से शुरू की भारत की यात्रा आज मंगल, चाँद और सूर्य तक पहुँच गई है जो वास्तव में गौरव का विषय है।
इस अवसर पर स्वामी जी ने भारत में आधुनिक अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डा विक्रम साराभाई को याद करते हुये कहा आर्यभट्ट से चंद्रयान और आदित्य-एल 1 तक की भारत की अंतरिक्ष विकास यात्रा अद्भुत है। भारत ने चाँद पर तिरंगा लहराया, मंगलयान को मंगल की धरती पर उतारकर कीर्तिमान स्थापित किया,
पीएसएलवी-सी 37 द्वारा एक साथ 104 उपग्रहों को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित कर विश्व रिकॉर्ड कायम किया, अब भारत के पास अपना नेवीगेशन सिस्टम भी है, भारत ने अंतरिक्ष में सैटेलाइट को मार गिराने की एक बड़ी उपलब्धि हासिल की और भारत ने आदित्य-एल1 के माध्यम से सूर्य तक पहंुच बनायी। अभी तो यह शुरूआत है, यह तो भारत के सुनहरे भविष्य की नींव तैयार हो रही हैं। भारत का अंतरिक्ष मिशन आए दिन अपने ही बनाए रिकॉर्ड को तोड़ता हुआ अंतरिक्ष में एक नई इबारत लिखता जा रहा है।
1971 में श्री राकेश शर्मा ने अपने विमान ’मिग एअर क्रॉफ्ट’ से महत्वपूर्ण सफलता हासिल कर दिखा दिया था कि कठिन परिस्थितियों में भी किस तरह अपने राष्ट्र के लिये शानदार कार्य किया जा सकता है। 1984 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और सोवियत संघ के इंटरकस्मिक कार्यक्रम के एक संयुक्त अंतरिक्ष अभियान के अंतर्गत श्री राकेश शर्मा आठ दिन तक अंतरिक्ष में रहे। ये उस समय भारतीय वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर और विमानचालक थे।
3 अप्रैल 1984 को दो अन्य सोवियत अंतरिक्षयात्रियों के साथ सोयूज टी-11 में श्री राकेश शर्मा को लॉन्च किया गया। इस उड़ान में और साल्युत 7 अंतरिक्ष केंद्र में उन्होंने उत्तरी भारत की फोटोग्राफी की और गुरूत्वाकर्षण-हीन योगाभ्यास किया। वे अंतरिक्ष मे जाने वाले भारत के पहले ओर विश्व के 138वे व्यक्ति थे।
02 अप्रैल, 1984 का दिन ऐसा ऐेतिहासिक दिन है, जब कोई भारतीय पहली बार अंतरिक्ष में जाने में सफल रहा। भारत के लिये इस अनुपम उपलब्धि को हासिल कराने का श्रेय विंग कमांडर राकेश शर्मा को जाता है। उनकी अन्तरिक्ष उड़ान के दौरान भारत की तत्कालिन प्रधानमंत्री ने श्री राकेश शर्मा से पूछा कि अन्तरिक्ष से भारत कैसा दिखता है ? तब उन्होंने उत्तर दिया- ‘सारे जहाँ से अच्छा’। अपने राष्ट्र के प्रति ऐसी अद्भुत निष्ठा थी। अशोक चक्र से सम्मानित विंग कमांडर श्री राकेश शर्मा की राष्ट्र भक्ति व देश प्रेम को नमन।
श्री राकेश शर्मा जी और आगे आने अतंरिक्ष वैज्ञानिकों के देश प्रेम, निष्ठा व उपलब्धियों ने भारतीय युवाओं को अंतरिक्ष के क्षेत्र में दिलचस्पी जगाने का काम किया। बाद में कल्पना चावला से लेकर सुनीता विलियम्स जैसे भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्रियों ने अंतरिक्ष में भारत का नाम रोशन किया।
भारत की अंतरिक्ष यात्रा व उपलब्धियों के लिये इसरों के वैज्ञानिकों व हमारे कर्मठ, ऊर्जावान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का अभिनन्दन