• December 23, 2024

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भारतीय साहित्य, सांस्कृतिक मूल्य और अपनी जड़ों से जुड़ने का उत्कृष्ट माध्यम ’’हिन्दी’’= स्वामी चिदानन्द सरस्वती

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कमल अग्रवाल (हरिद्वार) उत्तराखंड

ऋषिकेश= परमार्थ निकेेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर हिंदी भाषा में निहित सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन का संदेश दिया। हिंदी एक समृद्ध साहित्यिक भाषा है, हिन्दी भाषा में रचनाओं की भरमार है, हिंदी भाषा में व्याप्त उत्कृष्ट साहित्य की सुंदरता का आनंद सभी ले सकें इसलिये भी हिन्दी से जुड़ना और जोड़ना आवश्यक है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि हिन्दी भाषा केवल अभिव्यक्ति का माध्यम ही नहीं बल्कि भावनाओं का गुलदस्ता भी है जो कि आपस में जुड़ने का सबसे सरल व सहज माध्यम है। हिन्दी की विकास यात्रा जितनी लम्बी है उतनी ही रोचक भी है। हिन्दी के साथ भारतीय समाज, संस्कृति और भावनायें जुड़ी हुई हैं। हिन्दी को सार्वभौमिक संवाद की भाषा बनाने के लिये उसे दिल से स्वीकारना होगा तथा हमारी आगे आने वाली पीढ़ियों को हिन्दी से जोड़ना होगा।

स्वामी दयानन्द जी ने कहा था कि हिन्दी के माध्यम से पूरे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है। वास्तव में ’भारत की महान, विशाल, गौरवशाली सभ्यता, संस्कृति और विरासत को सहेजने का कार्य हिन्दी ने ही किया है। हिन्दी भारतीय संस्कारों और संस्कृति से युक्त भाषा है। हिन्दी से जुड़ना अर्थात अपनी जड़ों से जुड़ना। हिन्दी, दिल की भाषा है और दिलों को जोड़ती है इसलिये भावी पीढ़ी को भी हिन्दी से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है। 

स्वामी जी ने कहा हिन्दी, न केवल एक भाषा है बल्कि वह भारत की आत्मा है। हिंदी को सम्मान जनक स्थान दिलाने के लिये वर्षो से देशव्यापी आंदोलन चलाये जा रहे है परन्तु हिन्दी को जब तक प्रत्येक भारतवासी दिल से स्वीकार नहीं कर लेता तब तक उसे अपने ही देश में उचित स्थान नहीं मिल सकता इसलिये प्रत्येक नागरिक को हिन्दी से जुड़ना होगा और आने वाली पीढ़ियों को भी जोड़ना होगा।

स्वामी जी ने कहा कि अगर हिन्दी भाषा में उपलब्ध पारम्परिक ज्ञान व वर्तमान कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) दोनों मिलकर कार्य करें तो विलक्षण परिवर्तन किया जा सकता है। युवा शक्ति का आह्वान करते हुये कहा कि हिन्दी व्यवहारिक भाषा के साथ कम्प्यूटर ( एआई ) की भाषा के रूप में भी सहज उपयोग की भाषा हो जाये तो इसका लाभ न केवल हिन्दी भाषाई बल्कि गैर हिन्दी भी इससे लाभान्वित हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि आईये हिन्दी से जुड़ें व जोडे।

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