• December 23, 2024

श्रीमान एक्सप्रेस

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आसमान में हो रहा भारत का गान = स्वामी चिदानन्द सरस्वती

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कमल अग्रवाल (हरिद्वार) उत्तराखंड

ऋषिकेश=परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज विदेश की धरती से भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी, इसरो प्रमुख एस सोमनाथ, उनकी पूरी टीम व पूरे भारत को बधाई देते हुये कहा कि भारत ने एक बार फिर अतंरिक्ष के क्षेत्र में एक और इतिहास रच दिया। 

इसरो के वैज्ञानिकों की यह तीसरी बड़ी सफलता है जिसने दिखा दिया कि हमारा अध्यात्म और हमारा अनुसंधान हमें धरती से आसमान तक, चांद से सूर्य तक पहंुचा सकता है। यह भारत की विलक्षण उपलब्धि है। हमारे वैज्ञानिकों ने अपने अथक परिश्रम व समर्पण से एक बार फिर एक और इतिहास रच दिया।

आदित्य – एल 1 का सफलतापूर्वक अपने प्वांइट तक पहुंचना अंतरिक्ष में एक बड़ी उपलब्धि का संकेत है। चंद्रयान -3 के माध्यम से भारत ने चांद पर चमत्कार किया और आदित्य -एल 1 के माध्यम से सूर्य नमस्कार। वाह भारत वाह! युग तो बहुत देखें परन्तु युगपुरूष पहली बार देखा। माननीय मोदी जी वह युगपुरूष है जिनके नेतृत्व में धरती से आसमान तक तिंरगा लहरा रहा है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि चंद्रयान – 3 की सफलता के समय भी मैं अमेरिका में था और आदित्य -एल1 की सफलता का सूर्य भी मैने यहीं से देखा। भारत वापस आकर इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा रचे इस अद्भूत इतिहास का उत्सव माँ गंगा के पावन तट परमार्थ निकेतन में विशेष यज्ञ व आध्यात्मिक अनुष्ठान के माध्यम से मनायेंगे।

आदित्य-एल1 ने 2 सितम्बर से शुरू की सूर्य की ओर यात्रा 6 जनवरी को सफलतापूर्वक पूर्ण की। इस मिशन का उद्देश्य सौर कोरोना, प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर और सौर पवन के बारे में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करना है। आदित्य-एल1 का प्राथमिक उद्देश्य सूर्य के विकिरण, ऊष्मा, कण प्रवाह तथा चुंबकीय क्षेत्र सहित सूर्य के व्यवहार और वे पृथ्वी को कैसे प्रभावित करते हैं, के संबंध में गहरी समझ हासिल करना है।

ज्ञात हो कि आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित भारतीय मिशन है। अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लाग्रेंज बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखा गया है, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर है।

एल1 बिंदु के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में रखे गए उपग्रह को सूर्य को बिना किसी आच्छादन/ग्रहण के लगातार देखने का प्रमुख लाभ है। यह वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव को देखने का अधिक लाभ प्रदान करेगा। अंतरिक्ष यान वैद्युत-चुम्बकीय और कण और चुंबकीय क्षेत्र संसूचकों का उपयोग करके फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों (कोरोना) का निरीक्षण करने के लिए सात नीतभार ले जाएगा।

विशेष सहूलियत बिंदु एल1 का उपयोग करते हुए, चार नीतभार सीधे सूर्य को देखते हैं और शेष तीन नीतभार लाग्रेंज बिंदु एल1 पर कणों और क्षेत्रों का यथावस्थित अध्ययन करते हैं, इस प्रकार अंतर-ग्रहीय माध्यम में सौर गतिकी के प्रसार प्रभाव का महत्वपूर्ण वैज्ञानिक अध्ययन प्रदान करते हैं।

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