बिजनौर के कितने पत्रकारों को अनाथ कर गया। कपिल थापन भाईसाहब जिंदादिल इंसान थे। गरीब, असहाय लोगों की सेवा करना तो कपिल थापन जी का परम कर्तव्य था।
6 सितंबर की रात का काला दिन जाने बिजनौर के कितने पत्रकारों को अनाथ कर गया। कपिल थापन भाईसाहब जिंदादिल इंसान थे। गरीब, असहाय लोगों की सेवा करना तो कपिल थापन जी का परम कर्तव्य था। एक कहावत है अच्छे व्यक्ति की ऊपर वाले को भी जरुरत है। कपिल थापन जैसे इंसान नहीं मिलते। इस लिए उन्हें भी अपने पास बुला लिया। मैंने पत्रकारिता शाह टाइम्स अखबार से
2003 को शुरु की थी। 2 साल तक मैने शाह टाइम्स अखबार में काम किया। इसके बाद 2005 में मेरी कपिल थापन से मुलाकात हुई जब पंकज भारद्वाज और कपिल थापन रॉयल बुलेटिन अखबार चलाते थे। कपिल थापन जैसे जिंदादिल इंसान देखने को नहीं मिलते। वह अपने से छोटे से बहुत प्यार करते थे। वह हमेशा मुझे अपना छोटा भाई मानते थे। एक बार मुझे बिजनौर शहर में रात हो गई मैं रोडवेज बस स्टैंड पर खड़ा था। रात के करीब 10 बजे थे कपिल भैया ने मुझसे पूछा कि आप कैसे खड़े हो मैंने का भाई साहब सवारी के इंतजार में हूं। यह सुनकर वह मुझे अपने साथ गाड़ी में बैठकर ले गए और मेरे घर तक छोड़कर आए। वे इतने अच्छे थे कि उनकी जितनी तारीफ की जाए उतनी ही कम होगी। सो। सोमवार की रात्रि 1 बजे अचानक मेरी आंख खुली मैंने मोबाइल उठाया और देखा कि व्हाट्सएप के ग्रुप में लिखा था हृदय गति रुक जाने से कपिल थापन जी की मौत हो गई है। यह जानकर मैं पूरी रात सो नहीं पाया क्योंकि मुझे लगा पत्रकारिता जगत में कपिल थापन जी का जाना कितने पत्रकारों को नाथ कर गया है। वह सब के सुख दुख में काम आते थे चाहे कोई किसी भी अखबार में काम कर रहा है कपिल थापन जी सबको बहुत प्यार करते थे। मैं इससे ज्यादा कपिल थापन जी के बारे में कुछ नहीं लिख सकता क्योकि लिखते हुए हाथ का रहे हैं। कपिल थापन जी का जाना पत्रकार जगत के लिए बहुत ही दुखदाई है। जब वह मुझे कॉल किया करते थे तो कहते थे पत्रकार साहब नमस्कार। मैं कहता था भाई साहब मुझे शर्मिंदा क्यों करते हो। कपिल भैया मजाक भरे अंदाज में कहते थे आप मुझसे बड़े पत्रकार हो। कपिल भैया का यूं चले जाना सभी के लिए दुखद है। कपिल कपिल भाईसाहब को नमन।