• April 25, 2024

जल समस्या जीवन की समस्या ÷ स्वामी चिदानन्द सरस्वती

 जल समस्या जीवन की समस्या ÷ स्वामी चिदानन्द सरस्वती
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कमल अग्रवाल (हरिद्वार) उत्तराखंड

ऋषिकेश, (02 अप्रैल 2023) ÷ परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज ग्लोबल वार्मिग और क्लाइमेंट चेंज के विषय में सचेत करते हुये कहा कि वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन एक ऐसी समस्या के रूप में उभर कर समाने आयी है जिसने न केवल सम्पूर्ण मानवता बल्कि समस्त विश्व की अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित किया है। इसका प्रभाव न केवल वर्तमान पीढ़ी पर हो रहा है बल्कि आने वाली पीढ़ियां भी प्रभावित होने के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं। यह एक ऐसी सार्वभौमिक समस्या है जिसका प्रभाव सम्पूर्ण ब्रह्मण्ड पर किसी-न-किसी रूप से पड़ रहा है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि ग्लोबल वार्मिग, क्लाइमेंट चेंज और पर्यावरण के साथ निरंतर हो रहे खिलवाड़ के कारण वर्तमान समय में दुनिया के अधिकांश देशों के पास पीने के स्वच्छ जल की कमी हो रही है। भारत में भी जल समस्या स्पष्ट रूप से दिखायी दे रही है। यदि जल-संसाधनों का उचित प्रबंधन नहीं किया गया तो भावी पीढ़ियों के सामने जल की समस्या एक विकराल रूप ले सकती है। वर्तमान समय में भी कई स्थानों पर लोग स्वच्छ जल की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं।
नीति आयोग के ‘समग्र जल प्रबंधन सूचकांक’ के अनुसार भारत के लगभग 600 मिलियन से अधिक लोग गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं। रिपोर्ट में यह बात भी कही गयी है कि वर्ष 2030 तक भारत में जल की मांग उपलब्ध आपूर्ति की तुलना में दोगुनी हो जाएगी। इसके अलावा भारत इस समय पेयजल के साथ-साथ कृषि उपयोग हेतु जल संकट से भी गुजर रहा है।

स्वामी जी ने कहा कि इस समय दुनियाभर के देशों को जल संकट को दूर करने की दिशा में ठोस कदम उठाने पर विचार करना होगा। अब समय आ गया है कि जल का उपयोग अनुशासित ढंग से किया जाये क्योंकि जरूरत से ज्यादा जल का उपयोग करना अर्थात् जल का नुकसान करना हमारी आदत बनते जा रहा है इसलिये हमें विचार करना होगा कि हमारी भावी पीढ़ी के लिए भी जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये हम सभी को आज से ही मिलकर प्रभावी कदम उठाने होंगे।

स्वामी जी ने कहा कि नदियां जल का उत्तम स्रोत है। दुनिया की तमाम सभ्यताएँ नदियों के तटों पर ही विकसित हुयी है। सदियों से विभिन्न उद्योग नदियों के कारण ही विकसित हुये हैं। अनेक ऐसे उद्योग है जिनके लिये नदियाँ वरदान साबित हुई हैं। नदियाँ प्राचीन काल से ही मानव सभ्यता की केंद्र में रही हैं।

नदियों को जीवनदायिनी कहा जाता है लेकिन वर्तमान समय में नदियों का जीवन ही समाप्त होने की कगार पर है, अनेक नदियां अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही हैं। अनेक नदियों के ऊपर संकट मंडरा रहा है। अनेक छोटी-छोटी नदियां सूख गयी है; विलुप्त हो गयी है और कुछ तो छोटे-छोटे नालों के रूप में तब्दील हो गयी है। जब तक नदियों का संरक्षण नहीं होगा जल समस्याओं का समाधान नहीं मिल सकता इसलिये जल क्रान्ति को जन क्रान्ति का रूप देना होगा तभी नदियों को बचाया जा सकता है और घटते जल की समस्याओं को दूर किया जा सकता हैं।

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