• June 6, 2023

हर भारतीय परमात्मा का एक जीता जागता हस्ताक्षर ÷ स्वामी चिदानन्द सरस्वती

 हर भारतीय परमात्मा का एक जीता जागता हस्ताक्षर ÷ स्वामी चिदानन्द सरस्वती
Sharing Is Caring:

 

कमल अग्रवाल (हरिद्वार) उत्तराखंड

ऋषिकेश, (01 अप्रैल 2023) ÷ परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द जी ने आज राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संस्थापक डा केशव बलिराम हेडगेवार जी के जन्मदिवस के अवसर पर देशवासियोें को शुभकामनायें देते हुये कहा कि डा केशव बलिराम हेडगेवार जी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ रूपी एक ऐसा बीज रोपित किया जो आज वट वृक्ष बन गया है और पूरे भारत को राष्ट्रभक्ति का संदेश दे रहा है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी कहा कि हम रंग, रूप, वेश-भूषा, धर्म और जाति से भले ही अलग-अलग हो परन्तु हम सब एक है और भारत माता की संतान हैं। हमारे देश का यह सौभाग्य है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संस्थापक श्रद्धेय डा हेडगेवार जी से लेकर आधुनिक वैज्ञानिक राष्ट्र ऋषि माननीय मोहन भागवत जी तक और स्वयं सेवक संघ परिवार के सभी सदस्य में सेवा, सयंम और समर्पण का अद्भुत संगम है और सेवा भी आनंद. जज्बा, जुनून, और जोश के साथ करना ये सब संघ के संस्कार है।

स्वामी जी ने कहा कि गुरु जी का मंत्र ‘इदम् राष्ट्राय इदं न मम’ हम सभी का जीवन मंत्र बनंे। डा हेडगेवार जी, गुरु जी एवं संघ जैसी दिव्य संस्था की ही देन है कि राष्ट्र भक्ति की गंगा भारत में प्रवाहित हो रही है। डा हेडगेवार जी ने भारत को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के रूप में एक ऐसा परिवार दिया है जो हर पल समर्पण भाव से देश की सेवा हेतु तत्पर रहता है। संघ परिवार के सदस्यों ने कोरोना के समय में भी अपनी और अपने परिवार की चिंता न करते हुये अपने देशवासियों की सेवा में सर्वस्व समर्पण किया यह सेवा का उत्कृष्ट उदाहरण है।

स्वामी जी ने कहा कि व्यक्ति को जीने के लिये श्वास की जरूरत होती है, उसी प्रकार समाज को जोड़ने के लिये विश्वास की जरूरत होेती है, विश्वास वह सीमेन्ट है जिससे समाज के लोग आपस में जुड़े रहते हैं क्योंकि समाज जुड़ा रहेगा तभी अखंड भारत का निर्माण होगा। शंकराचार्य जी ने कहा कि ‘‘दुर्लभं भारतेजन्म, मानुष्यं तत्र दुर्लभम्’’ और शास्त्रों में यहां तक कहा है ‘‘गायन्ति देवाः किल गीतकानि धन्यास्तु ते भारत भूमि भागे स्वर्गापवर्गास्पद हेतुभूते भवन्ति भूयः पुरूषा सुरत्वात्’’ अर्थात् देवता भी तरसते है, भारत भूमि में जन्म लेने के लिये।

स्वामी जी ने कहा कि हर भारतीय परमात्मा का एक जीता जागता हस्ताक्षर है। भारत, दुनिया का एक हिस्सा जरूर है परन्तु भारत केवल जमीन का एक टुकड़ा नहीं, एक जीता जागता राष्ट्र है, भारत केवल भारत नहीं बल्कि भारत माता है। भारत स्वयं भी प्रगति करता है और दुनिया की प्रगति में भी अपना अमूल्य योगदान देता है। भारत की संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम् की संस्कृति है, सर्वे भवन्तु सुखिनः की संस्कृति है।

स्वामी जी ने कहा कि हमारा राष्ट्र अखंड भारत के साथ आत्मनिर्भर भारत बनें, स्वच्छ, सुन्दर, समृद्ध और समुन्नत भारत बने, हमारे गांव आत्मनिर्भर हो, ’’मेरा गांव-मेरा तीर्थ, मेरा गांव-मेरी शान’’ यह सोच युवाओं में जागृत हो। उन्होंने कहा कि भारत विविध संस्कृतियों वाला राष्ट्र है, भारत की विविधता ही उसकी शक्ति है इसलिये भारत के पास विकास की अपार सम्भावनायें है और इसे बनायें रखना हम सब की साझा जिम्मेदारी है। भारत में अलग-अलग संस्कृति और भाषायें है फिर भी हम सब एकता के सू़त्र में बंधे हुये हंै, हमारे देश की एकता व अखंडता को अक्षुण्ण रखना हम सभी का परम कर्तव्य है। अखंडता से तात्पर्य सीमाओं की अखंडता ही नहीं बल्कि आपसी प्रेम और सौहार्द्रता से भी है और इसे बनाये रखने में संघ परिवार का महत्वपूर्ण योगदान है।।

Print Friendly, PDF & Email
Sharing Is Caring:

Related post

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Open chat
1
Need Help?
Kamal Agarwal
Hello
How can we help you?